राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) एक पेंशन सह निवेश योजना है जिसे भारत सरकार द्वारा भारत के नागरिकों को वृद्धावस्था सुरक्षा प्रदान करने के लिए शुरू किया गया है। यह योजना सुरक्षित और विनियमित बाजार आधारित रिर्टन के जरिए प्रभावशाली रूप से आपकी सेवानिवृत्ति की योजना बनाने हेतु एक आकर्षक दीर्घकालिक बचत मार्ग से प्रारंभ होती है। इस योजना का विनियमन पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा किया जाता है। पीएफआरडीए द्वारा स्थापित राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली न्यास (NPS Trust) एनपीएस के अंतर्गत सभी आस्तियों का पंजीकृत मालिक है।
एनपीएस को व्यापक रूप से दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है और इसके अतिरिक्त इसे निम्नलिखित विभिन्न सेक्टरों में विभक्त किया जा सकता है :
1. सरकारी सेक्टर
2. निजी सेक्टसर (गैर-सरकारी सेक्टरर) :
अन्य उपलब्ध पेंशन प्रोडक्ट की तुलना में एनपीएस खाता खुलवाने के उसके स्वयं के लाभ हैं। निम्नलिखित विशेषताएं एनपीएस को अन्य उत्पादों से अलग बनाती हैं:
भारत का कोई भी नागरिक (आवासीय और प्रवासी दोनों) जिसकी आयु 18 से 65 वर्ष की आयु (एनपीएस आवेदन जमा कराने की तिथि के अनुसार) है, एनपीएस में शामिल हो सकता है।
जी हां, एक अनिवासी भारतीय एनपीएस खाता खोल सकता है। एनआरआई द्वारा किया गया अंशदान समय-समय पर आरबीआई और फेमा द्वारा यथानिर्धारित विनियामक अपेक्षाओं के अध्यधीन होता है। हालांकि, ओसीआई (ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया) और पीआईओ (पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजन) कार्ड धारक और HUF एनपीएस खाता खोलने हेतु पात्र नहीं हैं।
नहीं, एनपीएस के अंतर्गत व्यक्ति को बहु एनपीएस खाते खोलने की अनुमति नहीं है। हालांकि, कोई व्यक्ति एक खाता एनपीएस में और दूसरा अन्य खाता अटल पेंशन योजना में खोल सकता है।
नहीं, एनपीएस खाता केवल व्यक्तिरूप से खोला जा सकता है और इसे HUF के लिए या उसकी ओर से संयुक्त रूप से खोला या संचालित नहीं किया जा सकता है।
एनपीएस के अंतर्गत सफलतापूर्वक नामांकन होने पर, अभिदाता को एक स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (प्रान) आबंटित किया जाता है। प्रान सृजित होने पर, एनएसडीएल-सीआरए (केन्द्रीय रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी) द्वारा अभिदाता के पंजीकृत ई-मेल आईडी और मोबाईल नंबर पर एक ई-मेल अलर्ट साथ ही साथ एसएमएस अलर्ट भेजा जाता है। अभिदाता सेवानिवृत्ति हेतु निधि जमा करने के लिए कामकाजी जीवन के दौरान एनपीएस में आवधिक (periodically)और नियमित अंशदान करते हैं।
सेवानिवृत्ति अथवा योजना से निकास होने पर, अभिदाता को इस शर्त के साथ निधि उपलब्ध कराई जाती है कि निधि का कुछ भाग को वार्षिकी में निवेश किया जाएगा ताकि योजना से निकास अथवा सेवानिवृत्ति के बाद उसे एक मासिक पेंशन प्रदान की जा सके।